सावन की आई बहार रेः इस पड़दादी ने झूले पर ऐसी पींगें बढ़ाईं कि आप भी दांत तले अंगुली दबा लेंगे

  फरीदाबाद। सावन का उल्लास हर नवयौवन के मन मे होता है। सावन पीहर जाने का अधिकारिक अवसर होता है। जब सब सखियां मिलती हैं, तब सब बचपन साकार हो जाता है। सावन की मस्ती हर किसी को बौरा देती है। मानव तो मानव, प्रकृति भी हरियाली का नव श्रंृगार करती है और झूम-झूमकर गाती है। इस सावन में इस पड़दादी ने तो कमाल ही कर दिया। This grandmother increased the Peengs on the swing such that you will also press your finger under teeth Faridabad. The euphoria of the…

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