नहीं रहे वो, जो कहते थे ‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’

इंदौर। मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया है। वे कोरोना वायरस से संक्रमित थे। मंगलवार सुबह ही उन्होंने ट्वीट कर कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबर दी थी।

No more, those who used to say ‘Kisi ke bap ka hinudustan thodi hai’

Indore. The famous poet Rahat Indauri has passed away. They were infected with the corona virus. On Tuesday morning, he tweeted and reported that he was infected with Corona virus. Rahat Indori was historical Shire. Not only in the country but in the whole world, Rahat Indouri, who used to say shayari with his style, was every heart strange.

राहत इंदौरी तारीखी शायर थे। देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपने अंदाज के साथ शायरी कहने वाले राहत इंदौरी हर दिल अजीज थे।

इस शेर के लिए उन्हें काफी मकबूलियत मिली, सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।

मुशायरों में उनका हर लफ्ज न सिर्फ तालियां बटोरता था, बल्कि उनके अंदाज पर भी लोग ला जवाब हो जाते थे।

शायरी की दुनिया के चमकते सितारे राहत इंदौरी ने कई तरह की शायरी की।

गजल, नज्में पढ़ीं, जो खूब मशहूर हुईं।

वहीं, राहत इंदौरी ने कुछ ऐसा भी रचा, जिसमें चुनौती भी है और चुनौती बनकर टकराने का माद्दा भी।

‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’ राहत इंदौरी की ऐसी ही गजल है, जो पैगाम भी बन चुकी है।

ये गजल न सिर्फ लोकप्रिय हुई, बल्कि आंदोलनों में लोगों द्वारा अपनी बात कहने का जरिया भी बना ली गई।

‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’

अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है।

लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में,
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।

मैं जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन,
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है।

हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है,
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है।

जो आज साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है।

सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।

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