नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग कम्पीटीटिवनैस प्रोग्राम को आगामी दस वर्षों के लिये पुनः स्थापित: मल्होत्रा

फरीदाबाद। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आगामी बजट में नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग कम्पीटीटिवनैस प्रोग्राम को आगामी दस वर्षों के लिये पुनः स्थापित करने की मांग की है।

National Manufacturing Competitiveness Program re-established for next ten years: Malhotra

Faridabad. DLF Industries Association has demanded the Union Finance Minister Nirmala Sitharaman to re-establish the National Manufacturing Competitiveness Program for the next ten years in the upcoming budget. According to association president JP Malhotra, the future of Indian industries rests on smart manufacturing and if we are to move towards a self-reliant India, then it is important to pay special attention to the cost of production in competition. 

अध्यक्ष जेपी मल्होत्रा के अनुसार भारतीय उद्योगों का भविष्य स्मार्ट मैन्यूफैक्चरिंग पर टिका है और यदि हमें आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाने हैं तो प्रतिस्पर्धा में उत्पादन की लागत पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना जरूरी है।

मल्होत्रा के अनुसार एमएसएमई सैक्टर को अपनी लागत में कटौती करनी होगी और गुणवत्ता से समझौता किये बिना न्यूनतम दरों के सिद्धांत को अपनाना होगा।

मल्होत्रा का मानना है कि नये परिवेश में मैन्यूफैक्चरिंग लागत कम करना और इसके लिये आटोमेशन व आईटी सैक्टर का समावेश करना जरूरी है। आपने स्पष्ट करते कहा है कि एमएसएमई सैक्टर को अभी आधुनिक तकनीक के साथ सामंजस्य लाने में समय लगेगा, ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह अपने प्रोग्राम को दस वर्ष के लिये और बढ़ाए।

मल्होत्रा के अनुसार पारंपरिक प्रक्रिया में मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर में आईटी तकनीक का समावेश करने के लिये बृहत निवेश साईकिल की आवश्यकता है और हमें इस संबंध में स्थितियों के अनुरूप प्रोजैक्ट तथा नीतियों पर ध्यान देना होगा।

एमएसएमई सैक्टर की कार्यप्रणाली में सुधार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मल्होत्रा ने बताया कि 2005 में नेशनल मैन्यूफैक्वचरिंग कम्पीटीटिवनैस प्रोग्राम को आरंभ किया गया था जिसका उद्देश्य स्माल व मीडियम एंटरप्राइजेज को स्पर्धा के लिये तैयार करना था। यह प्रोग्राम दस मुख्य कम्पोनैंटस जिनमें लीन मैन्यूफैक्चरिंग, आईसीटी, टैक्रोलॉजी अपग्रेशन, क्यूएमएस बार कोड, मिनी टूल रूम इत्यादि पर आधारित था। प्रोग्राम का उद्देश्य एमएसएमई सैक्टर की प्रोसैसिंग, डिजाईनिंग, तकनीक और माकिट असैट को बेहतर बनाना था। प्रोग्राम को दस वर्ष के लिये बनाया गया और इससे एमएसएमई सैक्टर को काफी लाभ भी मिला।

मल्होत्रा के अनुसार इस प्रोग्राम के तहत मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर की कास्ट 10 से 25 फीसदी तक कम हुई जोकि अपने आप में एक रिकार्ड है।

मल्होत्रा ने पीएचडी चौम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री से भी आग्रह किया है कि वह इस संबंध में भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए प्रोग्राम को पुनरू स्थापित करने का प्रयास करे।

मल्होत्रा के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत देश के एमएसएमई सैक्टर को प्रोत्साहन देने की जो नीति तैयार की गई है उसमें यह प्रोग्राम काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आपने विश्वास व्यक्त किया है कि इस संबंध में सरकार शीघ्र साकारात्मक निर्णय लेगी और इससे एमएसएमई सैक्टर्स को लाभ मिलेगा।

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