कोरोना की पहली वैक्सीन बनी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन की बेटी को दी गई वैक्सीन

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया लड़ रही है, लेकिन एक और लड़ाई भी है, जिसकी होड़ में इस वक्त पूरी दुनिया है, वो है कोरोना की वैक्सीन नाने की होड़। वैक्सीन बनाने की इस रेस में रूस बाजी मारता दिख रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया है कि उनके देश ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है और उसे रजिस्टर्ड भी करा लिया गया है। कोरोना वैक्सीन रजिस्टर्ड कराने वाला रूस दुनिया का पहला देश बन गया है।

First Corona vaccine launched, given to Russian President Putin’s daughter

New Delhi. The whole world is fighting the corona virus epidemic, but there is also another battle, which is currently competing in the world, that is the competition to take corona vaccine. Russia seems to be winning the race for vaccine. Russian President Vladimir Putin has announced that his country has made the corona virus vaccine and has been registered. Russia has become the first country in the world to have the Corona vaccine registered. President Putin also told that this vaccine has been given to one of his two daughters and she is feeling better.

राष्ट्रपति पुतिन ने ये भी बताया कि इस वैक्सीन को उनकी दो बेटियों में से एक बेटी को दिया भी जा चुका है और वो बेहतर महसूस कर रही है।

राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि टेस्ट के दौरान वैक्सीन ने अच्छे नतीजे दिए हैं।

उन्होंने दावा किया कि इस वैक्सीन से कोरोना वायरस से लंबे समय तक सुरक्षा हो सकेगी।

उन्होंने कहा कि वैक्सीन सभी जरूर टेस्ट से होकर गुजरी है।

रूस की सरकार ने ऐलान किया है कि इस वैक्सीन को सबसे पहले मेडिकल कर्मचारियों और अध्यापकों को दिया जाएगा। साथ ही उन लोगों को भी ये वैक्सीन दी जाएगी जिनके कोरोना संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होगा।
रूस अपने देश में अक्टूबर से पूरी आबादी के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत करेगा।

रूसी वैक्सीन पर संदेह के बादल

इस वैक्सीन का निर्माण गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट और रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने मिलकर तैयार किया है।

हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे 12 अगस्त को रजिस्टर्ड किया जाना था।

रूस की कामयाबी पर दुनिया के कई देश संदेह भी जता रहे हैं और हड़बड़ी में किए गए रिजस्ट्रेशन पर सवाल भी उठा रहे हैं।

इन देशों का कहना है कि फेज-3 के ट्रायल से पहले इसका रजिस्ट्रेशन सही नहीं है, क्योंकि इसमें कई महीनों का वक्त लगता है और हजारों लोगों की जिंदगी दांव पर लगी होती है।

दुनिया के जाने माने संक्रामक रोगों के एक्सपर्ट डॉक्टर एंथनी फॉसी भी रूस की वैक्सीन पर शुरू से ही सवाल उठाते रहे हैं। आपको बताते चलें कि रूस में इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल 18 जून को शुरू हुआ था, जिसमें 38 लोगों ने हिस्सा लिया था, जिसमें सभी ने वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी हासिल कर ली थी।

पहला ग्रुप 15 जुलाई का डिस्चार्ज किया गया, जबकि दूसरा ग्रुप 20 जुलाई को छोड़ा गया।

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