फरीदाबाद: कांग्रेसियों ने भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनाई

फरीदाबाद। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक आनंद कौशिक के अनुज बलजीत कौशिक ने आज गाँधी कॉलोनी कुष्ठ आश्रम पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाकर गाँधी जी द्वारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन’ की याद दिलाई।

Faridabad: Congressmen celebrate anniversary of Quit India Movement

बलजीत कौशिक  कहा कि  महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया था। आठ अगस्त 1942 को उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की थी।

उन्होंने कहा कि ‘राष्‍ट्रपिता ने ‘अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान कर स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा प्रदान की।’

उन्‍होंने कहा कि ‘मैं देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने वाले उन महान वीरों को सलाम करता हूं।

इस मौके पर डा. सौरभ जिला अध्यक्ष ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस, गौरव ढींगरा स्टेट कोऑर्डिनेटर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी, इशांत कथूरिया जनरल सेक्रेट्री यूथ कांग्रेस, रामप्रवेश, महेश बैंसला, मोहित बैंसला, हरीश भड़ाना,विकास चंदीला, अंकित ठाकुर, सोनू, भूरा, अभिषेक बैसला आदि लोग मौजूद थे।

एक अन्य कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजन ओझा ने कहा कि कांग्रेस की देश को आजाद कराने में बड़ी भूमिका है। कांग्रेस पार्टी ने अलगाव नहीं लगाव की राजनीति की है। सभी के सहयोग से सबको साथ लेकर चलने वाले सबसे पुराने राजनैतिक दल कांग्रेस का इतिहास बहुत गौरवशाली है। अपनी इसी पर परा और सोच को पार्टी वर्तमान समय में भी बखूबी निभा रही है। जिसके चलते भारत में एक सच्चे और अच्छे लोकतंत्र की स्थापना संभव हो पाई। देश की आज़ादी में अपने प्राण आहूत करने वाले क्रांतिकारी और सभी देशभक्तों को याद करने और उन्हे श्रद्धांजलि देने का आज ऐतिहासिक
दिन है।

प्रदेश सचिव राजन ओझा ने ओल्ड फरीदाबाद राजीव गांधी चौक स्थित कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।

अगस्त क्रान्ति के पुरोधाओं को नमन करने के उपरांत उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रदेश सचिव राजन ओझा ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन जिसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। 8 अगस्त 1942 की शाम को मुबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में यह घोषित किया गया था कि अब भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिए अत्यंत जरुरी हो गयी है, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र के देश फासीवादी जर्मनी, इटली और जापान से लड़ रहे हैं। यह प्रस्ताव भारत से ब्रिटिश शासन की समाप्ति के लिए लाया गया था।

उन्होंने कहा कि गांधीजी के आह्वान पर इस प्रभावशाली आंदोलन का 9 अगस्त, 1942 से समूचे देश में एक साथ आरभ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।

इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं प्रगतिशील किसान मंच के अध्यक्ष सत्यवीर डागर, जिला कांग्रेस के प्रभारी मोह मद बिलाल उटावड़, रामजी लाल, राजेन्द्र सिंह चौहान, राजेश आर्य, सरदार हरजीत सिंह, के सी माहौर, नीरज गुप्ता, अशोक रावल, रमेश ओझा, टिंकू ओझा, नरेश, राहुल नागर, संजय सोलंकी, सुरेश राज, मुकेश शीधर, बाल किशन वशिष्ट, हरीश ऋषि, अजय शर्मा, नगेश सहगल, देवेन्द्र शर्मा, देवीसिंह, बाबूलाल मुख्यरूप से उपस्थित रहे।

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