फरीदाबाद में प्रलय का दिनः बस्ती उजड़ गई गुबार देखते रहे, भारी पुलिस बल के साए में खोरी के 1000 मकान जमींदोज, 25 हिरासत में

फरीदाबाद। नगर निगम ने भारी पुलिस बल के साए में यहां के सूरजकुंड-दिल्ली बार्डर स्थित खोरी इलाके में 1000 से ज्यादा मकानों और झुग्गियों को जमींदोज कर दिया और लगभग 25 एकड़ भूमि कब्जा मुक्त करवा ली है। कार्रवाई के दौरान लोगों ने पत्थर डालकर रास्ता रोकने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस बल के सामने उनकी एक न चली। 25 लोगों को हिरासत में भी लिया गया।

Faridabad: 1000 houses of Khori demolished under heavy police force, 25 in custody

Faridabad. The Municipal Corporation has demolished more than 1000 houses and slums in Khori area of ​​Surajkund-Delhi Border under the shadow of heavy police force and has freed possession of about 25 acres of land. During the action, people tried to block the path by putting stones, but they did not stand in front of the police force. 25 people were also detained.

खोरी की सैकड़ों झुग्गियों को 10 सितंबर को भी तोड़ा जाना था।

यहां डेढ़-दो हजार से अधिक झुग्गियों व घरों का सरकारी जमीन पर कब्जा है।

नगर निगम के सभी अधिकारी व ड्यूटी मजिस्ट्रेट तय समय पर तैयार भी हो गए थे, लेकिन अचानक कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।

कार्यवाही स्थगित होेने पर कई चर्चाएं आम रहीं कि किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से ही इस कार्यवाही को रोका गया है। अधिकारी कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं थे।

वास्तवितकता यह थी कि पिपली में किसान रैली के चलते पुलिस कर्मियों की संख्या कम पड़ गई थी। इसलिए कार्यवाही टाल दी गई थी।

सोमवार के हालात

  

इसके पश्चात प्रशासन ने सोमवार को यहां तोड़फोड़ का समय निश्चित किया था।

रविवार रात से ही शासकीय स्तर पर गहमागहमी शुरू हो गई थी।

सूत्रों के मुताबिक अन्य जिलों की पुलिस फरीदाबाद में पहुंचनी शुरू हो गई थी।

सूत्रों का कहना है कि रविवार रात को पुलिस ने कई लोगों को सुरक्षा के लिए हिरासत में ले लिया है, जो तोड़फोड़ की कार्यवाही के समय हंगामा कर सकते हैं।

पुलिस और नगर निगम की किलेबंदी

सुबह तड़के ही खोरी के निकट सूरजकुंड थाने और उसके सामने के मैदान में पुलिस बल और नगर निगम का एक़त्रीकरण शुरू हो गया था।

1500 पुलिसकर्मियों तथा मधुबन, करनाल से पहुंचने की सूचना है।

पुलिस की दुर्गा शक्ति सहित कई डीसीपी, एसीपी और तमाम थानों के एसएचओ तोड़फोड़ स्थल पर मौजूद रहे।

अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस बल के साथ वज्र फायर वाहन तथा दमकल विभाग की 6 गाड़ियां मौके पर मौजूद रहीं।

स्वास्थ विभाग ने भी आपात स्थिति के लिए सिविल हॉस्पिटल से 5 एंबुलेंस भेजी थीं।

ऐसे हुई तोड़फोड़

नगर निगम की लगभग एक दर्जन जेसीबी जब खोरी के निकट पहुंची, तो वहां के लोगों ने रास्तों पर पत्थर डाल दिए।

लोगों ने विरोध स्वरूप सूरजकुंड रोड पर जाम लगाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की सख्ती और किंतु दृढ़ निश्चय करके पहुंचे नगर निगम दस्ते के सामने लोगों की एक न चली।

जेसीबी मशीनों ने रास्ता बनाकर मकानों की तोड़फोड़ शुरू कर दी।

इससे परेशान लोगों ने कार्रवाई को बाधित करने का प्रयास किया।

इसके लिए पहले से तैयार पुलिस और उनके अधिकारियों ने लोगों का समझाने का प्रयास किया।

किंतु कुछ लोग उग्र होने लगे, तो लगभग 2 दर्जन लोगों का हिरासत में ले लिया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया।

लोगों को हिराहत में लिए जाने के बाद भीड़ का हौसला टूट गया।

इसके बाद तोड़फोड़ दस्ता निर्बाध मकानों को मिट्टी में मिलाता रहा।

गुजारे लायक बने मकान जेसीबी की एक टक्कर से ही ध्वस्त हुए जा रहे थे।

लिपे-पुते मकान की जगह कुछ ही देर में मलबा और धूल का बवंडर नजर आता था, जिसे बैठते हुए हताश आंखें बस देखती रहीं।

लोग दूर से अपने घरौंदों को बेबश टूटते-उजड़ते देख रहे थे।

महिलाएं और बच्चों की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे।

दोपहर को हल्की बूंदाबांदी हुई, तो लोगों को उम्मीद बंधी कि शायद कार्रवाई रुक जाए, लेकिन थोड़ी देर में बौछार रुकने के बाद कार्रवाई फिर शुरू हो गई।

फिर होगी तोड़फोड़

नगर निगम के संयुक्तायुक्त प्रशांत अटकान ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण कार्रवाई विलंब से हुई है। यहां पर अभी और भी अवैध निर्माण शेष हैं। भविष्य में जब पुलिस बल मिलेगा, तो यहां तोड़फोड़ की जाएगी।

क्यों हुई तोड़फोड़

खोरी में नगर निगम व पर्यटन निगम की जमीन है, लेकिन यहां कई साल से अवैध रूप से बड़ी संख्या में झुग्गियां बसाई गई हैं।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट में 16 सितंबर को जवाब दायर करना है। इसलिए अब तोड़फोड़ की योजना तैयार की है।

5-6 वर्ष पहले भी हुई थी भारी तोड़फोड़

नगर निगम ने 5-6 वर्ष पूर्व भी खोरी गांव में भारी तोड़फोड़ की थी।

तोड़फोड़ की यह कार्रवाई तत्कालीन एसडीएम महावीर, संयुक्तायुक्त राजेश कुमार, ड्यूटी मजिस्ट्रेट एवं नगर निगम के एक्सईएन रमेश बंसल के नेतृत्व में की गई थी।

तब नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए करीब 150 घरों को ढहा दिया गया था। नगर निगम ने उन खाली घरों पर कार्रवाई की थी।

इन घरों को भूमाफियाओं ने बनाकर बेचने के लिए तैयार रखा था।

कौन जिम्मेदार

यह सारा खेल भूमाफियाओं का है।

इन भूमाफियाओं को हर सरकार में राजनीतिक संरक्षण रहा है।

एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले के सिद्धांत पर काम करने वाले इन भूमाफियाओं कई गुट हैं।

इनमें से एक बड़ा भूमाफिया आजकल एक विधायक की चौखट पर हाजिरी मार रहा है।

आज क्या हुआ

आज फिर गरीबों के मकान टूट गए।

आज फिर भूमाफिया साफ बच निकल गए।

आज भूमाफिया जीत गए।

आज मेहनत की कमाई से घर का सपना संजोने वाले मजदूर हार गए।

आज खोरी के बच्चों को समझ ही नहीं आया कि जिस आंगन में वे खेलते थे और मां जिस रसोई में खाना बनाती थी, उसे दैत्याकार मशीन क्यों तोड़ गईं और क्यों पुलिस वालों ने उनके पापा को धमकाया।

आज नगर निगम के गेंडा चर्म अधिकारियों को शर्म नहीं आई, जिन्होंने कुछ टुकड़ों की खातिर भूमाफियाओं की प्रारंभिक कार्यवाहियों को नजरअंदाज कर दिया।

25 साल से बसे हैं लोग

यहां करीब 25 साल पहले माफियाओं ने कॉलोनी काटनी शुरू की थी।

धीरे-धीरे करीब 25 एकड़ जमीन पर कब्जा कर कॉलोनी विकसित हो चुकी।

मौके पर सड़क से लेकर सीवरेज, पेयजल और बिजली की सुविधा नहीं है।

कब्जाधारियों ने पक्के मकान बना लिए हैं।

इनमें 80 फीसदी मुस्लिम परिवार रहते हैं।

ये परिवार कामकाज की तलाश में नूंह (मेवात) सहित उत्तरप्रदेश और बिहार से आकर बसे हैं।

माफिया अभी तक खाली जमीन पर 50-50 वर्ग गज के प्लाट तैयार कर लोगों को बेच रहे थे।

खरीदने वालों को सिर्फ प्लाट का कब्जा मिलता है।

बाकी और कोई कागजात नहीं होते। निगम द्वारा 1999 और 2012 में तोड़फोड़ की थी, लेकिन पूरी कॉलोनी नहीं तोड़ी जा सकी।

अजब तेरा गोरखधंधा

खोरी में यहां दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के स्थायी मीटर लगे हुए हैं।

इतना ही खोरी का रकबा यूं तो फरीदाबाद और हरियाणा का है, लेकिन यहां दिल्ली सरकार के भी बिजली के मीटर लगे हुए हैं।

यहां दो से ढाई हजार रुपए प्रति टैंकर पानी की आपूर्ति की जाती है।

कानूनी लड़ाई

तोड़फोड़ के खिलाफ स्थानीय लोग हाईकोर्ट गए थे।

वर्षों से यहां रह रहे निवासियों ने 1999 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

खोरी गांव वेलफेयर एसोसिएशन की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल, 2016 को निगम के खिलाफ फैसला सुनाया था।

हाईकोर्ट से स्टे मिलने के कुछ माह बाद नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष 19 फरवरी को नगर निगम के हक में फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए कि खोरी गांव में जो भी अवैध निर्माण या अतिक्रमण है, उसे हटाया जाए।

नगर निगम के अधिवक्ता सतीश आचार्य के अनुसार यहां नगर निगम की लगभग 150 एकड़ जमीन में से लगभग 90 एकड़ जमीन पर मकान बने हैं। बाकी जमीन पर रास्ते निकाले गए हैं।

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