भाजपा का जाट कार्डः पढ़ें धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष बनाने की इनसाइड स्टोरी, जानें कितने पानी में हैं धनखड़

 

जींद। भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हरियाणा के पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। ओपी धनखड़ अब सुभाष बराला की जगह लेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व मुख्यालय प्रभारी अरूण सिंह ने इस संबंध में पत्र जारी किया है। बता दें कि इससे पहले ओम प्रकाश धनखड़ भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। भाजपा ने जाट नेता सुभाष बराला के बाद दूसरे जाट नेता ओपी धनखड़ पर विश्वास जताया है।

BJP’s Jat Card: Read the inside story of making Dhankar as state president

धनखड़ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, किसान मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं।

पार्टी ने जाट नेता सुभाष बराला के बाद दूसरे जाट नेता ओमप्रकाश धनखड़ पर ही विश्वास जताया।

ओपी धनखड़ हाईकमान को यह समझाने में पूरी तरह कामयाब रहे कि अगर जाटों को दरकिनार किया गया, तो भाजपा फिर उसी जगह पहुंच जाएगी, जहां से शिखर का सफर शुरू किया था।

सामाजिक समरसता के लिए जाटों को मुख्यधारा में शिखर के दो में से एक पद पर रखना जरूरी था।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एक मजबूत जाट नेता व दुष्यंत चौटाला के तोड़ का अपना नेता जरूरी था।

कैप्टन अभिमन्यु भी इस दृष्टिकोण से फिट बैठ रहे थे, मगर भूपेंद्र हुड्डा से रिश्तेदारी की वजह से पार्टी को शायद यह लगा होगा कि कैप्टन के मुकाबले धनखड़ अधिक आक्रामकता से हुड्डा का मुकाबला कर पाएंगे।

जेपी नड्डा से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समय की दोस्ती व प्रधानमंत्री मोदी से गुजरात के जमाने की दोस्ती भी धनखड़ को ताकत देने का आधार बनी।

प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद रेवाड़ी में मोदी की जो पहली रैली हुई थी, उसके सूत्रधार ओमप्रकाश धनखड़ ही थे।

मोदी से निकटता की वजह से ही उन्हें पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट स्टैचू आफ यूनिटी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था।

हरियाणा की किसान आधारित राजनीति में एक किसान चेहरे को आगे लाना भी भाजपा के लिए फायदे का सौदा माना गया।

धनखड़ की एक किसान नेता के रूप में निर्विवाद पहचान है।

जाटलैंड से चुना प्रदेशाध्यक्ष

धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष चुनकर भाजपा ने जाट कार्ड खेल दिया है।

धनखड़ जाटलैंड रोहतक से हैं, जहां कांग्रेस के जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा माना जाता है।

धनखड़ को चुने जाने के पीछे कई फैक्टर जुड़े थे।

वे लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे हैं, भाजपा के साथ-साथ संघ को भी उनके प्रदेशाध्यक्ष बनने पर कोई आपत्ति नहीं थी।

अनुभव भी धनखड़ का प्लस प्वाइंट रहा है।

वे संगठन में लंबे समय से काम कर रहे हैं।

भाजपा के किसान मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं, इसके साथ-साथ अन्य पदों पर भी रहे हैं।

पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री होने का अनुभव भी उनके पास है।

भाजपा ने ठीक बरोदा उपचुनाव से पहले धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष घोषित किया है, ताकि हुड्डा के दबदबे वाली बरोदा सीट पर चुनावी फायदा उठाया जा सके।

दो बार किसान मोर्चा अध्यक्ष

वह साल 2011 से 2015 तक दो बार भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे हैं।

ओम प्रकाश धनखड़ का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के धाकला गांव में हुआ है।

साल 1978 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से एक स्वयंसेवक के तौर पर जुड़े।

1980 से 1996 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए काम किया।

बाद में ओपी धनखड़ स्वदेशी जागरण मंच से भी जुड़े रहे।

हिमाचल के प्रभारी भी रहे

ओम प्रकाश धनखड़ साल 1996 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी मिली।
यह अटल-आडवाणी युग था।

इसके बाद ओपी धनखड़ को हिमाचल प्रदेश का प्रदेश प्रभारी बनाया गया।

पर्वतीय प्रदेश में भाजपा के कमल को खिलाने में धनखड़ ने अहम भूमिका अदा की।

साल 2014 में रोहतक सांसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन यहां पर हरियाणा के पूर्व सीएम बीएस हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के सामने हार का सामना करना पड़ा।

हालांकि 2014 में ही बादली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर ओपी धनखड़ हरियाणा विधानसभा पहुंचे और यहां कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजे गए।

साल 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव में बादली सीट से ओम प्रकाश धनखड़ को हार का सामना करना पड़ा।
हालांकि भाजपा आलाकमान ने हरियाणा में एक बार फिर ओम प्रकाश धनखड़ पर ही अपना विश्वास जताया है।

लंबी जद्दोजहद

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर लॉकडाउन से पहले चर्चा शुरू हो गई थी।

कृष्णपाल गुर्जर, संदीप जोशी, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और ओमप्रकाश धनखड़ का नाम चल रहा था।

शुरूआत में कयास लगाए जा रहे थे कि सुभाष बराला को ही दोबारा जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का नाम सबसे आगे था, लेकिन भाजपा संगठन में उनके नाम पर भी सहमति नहीं बनी।

अनलॉक शुरू होने के बाद लगातार सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली दरबार में चक्कर लगाए।

पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।

इसके बाद नाम तय हुआ है। बताया जा रहा है कि भाजपा के एक केंद्रीय नेता के सामने हरियाणा के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कुछ दिन पूर्व यह तर्क दिया था कि आपको किस तरह का अध्यक्ष चाहिए।

क्या मनोहर लाल के साथ भाई की तरह कदमताल करें ऐसा या मनोहर लाल का शिष्य बनकर काम करने वाला या फिर भाई की तरह काम करने वाला चाहिए।

धनखड़ जैसे चेहरों को आगे लाइए और अगर शिष्य जैसा चाहिए, तो फिर लंबी फौज मौजूद है किसी को बनाइए।

धनखड़ न मनोहर के पिछलग्गू रहेंगे और न ही मनोहर को कमजोर करने का प्रयास करेंगे।

वह गाड़ी के दो पहियों की तरह सत्ता और संगठन में अपनी अपनी-अपनी धमक दिखाएंगे।

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